पीएम मोदी की UCC वाली बात से भड़के विपक्षी नेता, मुस्लिम बोर्ड ने भी संविधान की दुहाई दी

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पीएम मोदी की UCC

PM Modi’s Talk About UCC | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के संकेत दिए हैं। मंगलवार (जून 27, 2023) को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि, अगर किसी सदन में एक सदस्य के लिए एक कानून होगा और दूसरे के लिए अलग, तो क्या सदन चल पाएगा? इसके अलावा उन्होंने कहा है कि, देश में समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है। पीएम के इस बयान पर विपक्ष समेत कई मुस्लिम नेता भड़के हुए हैं।

मुसलमानों के सबसे बड़े नेता होने का दावा करने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, प्रधानमंत्री भारत की विविधता और बहुलवाद को समस्या मानते हैं। इसलिए वह ऐसी बातें करता रहता है। वे कहते हैं, वे एक देश, एक चुनाव, एक कर, एक कानून, एक पहचान की बात करते हैं। तो क्या वह समान नागरिक संहिता के नाम पर देश की विविधता और बहुलवाद को छीन लेंगे? जब वह समान नागरिक संहिता की बात करते हैं तो वह हिंदू नागरिक संहिता की बात कर रहे होते हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता और महाराष्ट्र से विधायक अबू आजमी ने भी समान नागरिक संहिता पर पीएम मोदी के बयान का विरोध किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, समान नागरिक संहिता पर मोदी जी को यह भी कहना चाहिए कि इस देश में केवल एक ही धर्म के लोग रहेंगे। हमारे देश में कुछ किलोमीटर दूर जाते ही भाषाएं, संस्कृति, धर्म आदि बदल जाते हैं। क्या आप उन सभी को ख़त्म करना चाहते हैं? यूसीसी के माध्यम से शरीयत में हस्तक्षेप का केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग विरोध करेंगे, जिनके धार्मिक कानूनों में आप हस्तक्षेप करेंगे।

इस मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और कांग्रेस नेता आरिफ मसूद ने कहा है, प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि उन्होंने बाबा साहब के बनाए संविधान की शपथ ली है। हम एक बात कह रहे हैं कि देश का हर व्यक्ति बाबा साहब के संविधान से सहमत है और रहेगा। हम इस संविधान को बर्बाद और बदलने नहीं देंगे। उन्होंने तीन तलाक कानून बनाया, इससे क्या फर्क पड़ा?

 

जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है, समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों को शामिल होना चाहिए। भाजपा सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती है।

डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा है, समान नागरिक संहिता सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू होनी चाहिए. अनुसूचित जाति और जनजाति सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हमें समान नागरिक संहिता सिर्फ इसलिए नहीं चाहिए क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है।